कंप्यूटर से जुड़ी मुख्य उपलब्धियां ( 1937 से 1983 तक )
1937
जॉन वी एटनसॉफ और क्लोफॉर्ड बेरी ने मिलकर पहला इलैक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर डिज़ाइन एवं निर्मित किया । एटनसॉफ - बेरी कंप्यूटर या फिर ए.बी.सी. के नाम से चर्चित यह कम्प्यूटर डिजिटल कंप्यूटरों का आधार बना ।
1943
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश वैज्ञानिक एलन ट्यूरिंग ने कॉलोसास नामक कंप्यूटर अपने देश की फौज के लिए डिजाइन किया ताकि जर्मनी के गुप्त संदेशों को समझा जा सके । इस कंप्यूटर के अस्तित्व को 1970 के दशक तक छिपाकर रखा गया ।
1945
डॉ . नॉन वॉन न्यूमैन ने स्टोर्ड प्रोग्राम के कॉन्सेप्ट पर कागज़ तैयार किये । मेमोरी में आंकड़े और प्रोग्राम स्टोर करने की उनकी तरकाब ने भविष्य के डिजिटल कंप्यूटरों के निर्माण की नांव डाली । 1948 डॉ . जॉन डब्लू . मॉचली और जे . प्रेस्पर एकर्ट जूनियर ने आम आदमी के उपयोग के लिए पहले बढ़े पैमाने के डिजिटल कंप्यूटर को बनाने का काम पूरा किया । ENIAC नामक इस कंप्यूटर का वज़न तीस टन था और इसमें 18000 वैक्यूम ट्यूब्स लगी हुई थीं । तीस वटा पचास फुट की जगह घेरने वाला यह कंप्यूटर 160 किलोवाट बिजली से चलता था । जब पहली बार इस कंप्यूटर को चलाया गया तो पूरे फिलेडेल्फिया क्षेत्र की बत्तियां मंद हो गई थीं ।
1951
रेमिंगटन रेन्ड ने वाणिज्यक इस्तेमाल का पहला डिजिटल कंप्यूटर UNIVAC | ( यूनिवर्सल ऑटोमेटिक कंप्यूटर ) बाजार में उतारा ।
1953
PBg आई.बी.एम. का मॉडल नम्बर 650 उन शुरुआती मॉडलों में से एक था जिसका इस्तेमाल बड़ी संख्या में लोगों ने किया । पहले आई.बी.एम. की योजना इस मॉडल के 50 कंप्यूटरों को निर्मित करने की थी , लेकिन इसकी सफलता को देखते हुए 1000 से भी ज्यादा मॉडल बनाये गये ।
1957
ऑन मैकरा ने आसानी से इस्तेमाल की जाने वाली प्रोग्रामिंग भाषा Fortran ( फार्मूला ट्रान्सलेशन ) 1958 टेक्सास मट्यूमेन्टस के जैक किल्लीन इन्टिग्रेटिड सर्किट का आविष्कार कंप्यूटो किया जिसके आधार पर ज्यादा ममता थाली मेमोरी और तेज गति के computer ki niv dali
1960
डॉ . स हॉपर की अध्यक्षता में बनी समिति ने शिलेस की उच्चस्तरीय भाषा , कोबोल का विकास किया ।
1965
डाटमाउथ के जॉन केमेनी ने प्रोग्रामिंग भाषा बेसिक ( Basic ) को विकसित किया जिसका इस्तेमाल निजी कंप्यूटरों में बड़े पैमाने पर किया गया । डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन ने पहला छोटा कंप्यूटर , पी.डी.पी. - 8 बाजार में उतारा जिसका इस्तेमाल आण बड़े पैमाने पर टाइम शेयरिंग सिस्टम्स में बतौर इंटरफेस किया जाता है ।
1969
संयुक्त राज्य के रक्षा विभाग के अंतर्गत ए.आर.पी.ए. द्वारा ए.आर.पी.एन.इ.टी ( एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेन्सी नेटवर्क ) का विकास हुआ जो कि विश्व का पहला ऑपरेशनल पैकेट स्विचिंग नेटवर्क था और ग्लोबल इंटरनेट के
1971
इन्टेल कॉरपरिशन के डॉ . टेड हॉफ ने छोटे प्रोसेसर यानी कि माइक्रोप्रोग्रामेबल कंप्यूटर चिप , इन्टेल 4004 का विकास किया ।
1975
शिरोबस पी.ए.आर.सी ( पालो ऑल्टो रिसर्च सेन्टर ) में कार्यरत रॉबर्ट मेटकॉफ ने पहले स्थानीय नेटवर्क ( LAN ) अनिट का विकास किया । लैन की मदद से विभिन्न वाप्यूटर आपस में आंकड़े , सॉफ्टवेयर इत्यादि बाट पाते हैं ।
1976
स्टीव जॉब्स और स्टीव वॉजनियक ने एप्पल ' का पहला कंप्यूटर बनाया । इसके तुरंत बाद एप्पल टू का विकास हुआ जो बेहद सफल रहा ।
1979
VISICALC बॉब फ्रेन्कस्टन और डेन ब्रिक्लिन द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया विसिकॉल्क नामक एक स्प्रेडशीट प्रोग्राम बाजार में लाया गया । विसिकॉल्क प्रोग्राम एक मुख्य वजह रही जिसने व्यापार जगत में पर्सनल कंप्यूटरों के इस्तेमाल को लोकप्रियता दिलायी ।
1980
आई.बी.एम. ने माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन के सह संस्थापक , बिल गेट्स को बाजार में जल्द उतारे जाने वाले अपने पर्सनल कंप्यूटर के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित करने का मौका दिया । एम.एस - डॉस की सफलता की बदौलत माइक्रोसॉफ्ट का काफी विकास हुआ ।
1981
पर्सनल कंप्यूटर बाजार में उतरते हुए आई.बी.एम. ने अपना पहला पीसी प्रदर्शित किया ।
1982
COMPANI आई.बी.एम. के पर्सनल कंप्यूटरों को विकसित करने और उसका विपणन करने के लिए कॉम्पेक इंक . की स्थापना हुई । हेयस ने 300 रफ्तार वाला छोटा मॉडम निकाला जो बेहद सफल रहा ।
1983
लोटस डेवेलपमेन्ट कॉरपोरेशन की स्थापना हुई । लोटस सॉफ्टवेयर ( अब आई.बी.एम. का हिस्सा है ) के स्प्रेडशीट प्रोग्राम लोटस 1-2-3 , ने आई.बी.एम के पर्सनल कंप्यूटरों को पहली बड़ी सफलता दिलाई । इस प्रोग्राम की अपार कामयाबी की बदौलत आई.बी.एम. ने कॉरपोरेट जगत में अपने लिए खास जगह बनायी ।
Next- कंप्यूटर से जुड़ी मुख्य उपलब्धियां ( 1984 से 2012 तक )




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