पहला सुख निरोगी काया तथा सवस्थ शरीर में ही स्वस्थय  मस्तिष्क का निवास होता है |  (Healthy mind in healthy body. (Jhon       )  यह कहावत काफी प्राचीन प्रचलित है  और सवस्थ शरीर के लिए १०० फीसदी सही भी है | साथ ही संस्कृत में एक उक्ति शरीरसाधनम अर्थात शरीर धर्म पालन करने का पहला साधन है |  यह उक्ति प्राणीमात्र के चरिताथात्र  होती है |  यदि शरीर स्वस्थ  नहीं होगा तो मानव कोई काम करने में असमर्थ है | सुखमय जीवन जीने के लिए  स्वस्थ   होने की अस्वस्थ होने पर शारीरिक मानसिक तथा सामाजिक रूप से अपनी क्षमताओ  का अधिकाधिक उपयोग कर सकते है | हमारा देश विविधताओं से भरा है | भौगोलिक रूप से धार्मिक रूप  से भाषा के रूप से रीतिरिवाज आदि  विविधता लिये हुए एक अखण्ड रूप से उभर रहा है |  साथ ही इन्हीं विविधताओं में अनेक समस्यां आ खड़ी होती है | इसी  कड़ी में आज हमारे देश में माहामारी सुरसा की तरह मुँह खोले खड़ी है |  देशवासियो के सामने एक यक्ष प्रश्न एवं संघर्ष भरा कठिन समय से देश गुजर रहा है |  आज वो समय आ गया है कि देशवासी एक कड़ी से कड़ी मिलाकर एक साथ समस्या से सामना करने के लिए तैयार  रहना होगा | तभी हम COVID -19 महामारी को हरा पायेंगे | ये ख़तरनाक बीमारी हमारे पड़ौसी चीन से हमारे देश में दस्तक दी है | जिसके लिए हमें एक जुबान एकता के साथ संघर्ष करना है |