कंप्यूटर से संबंधित कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य छात्र अलावा अंकों , टेक्स्ट , चित्र , ध्वनि आदि हो सकते हैं । डाटा अपने आप में कोई सूचना संप्रेषित नहीं करता है , बरिय . डाटा : असंगठित व अव्यवस्थित तथ्यों और आंकड़ों का संगठित व व्यवस्थित रूप डाटा कहलाता है । यह आकड़ा कोई फॉर्म भरा जाता है , जिसमें तथ्यों के रूप में छात्र का नाम , उसके पिता का नाम और पता आदि होता है । न का निर्धारण होता है और निर्णय लिए जाते हैं । उदाहरण के लिए , मार्कशीट ( अंकपत्र ) में प्रविष्ट अंक डाटा और पूरी मार्कशीट महत्वपूर्ण सूचनाओं को प्रस्तुत करने में काम आता है । उदाहरण के लिए , प्रवेश के समय स्कूल - कॉलेज में आंकहों को एकत्रित करने का मकसद छात्र के रिकार्ड को मेंटेन ( सुरक्षित ) करना एक इंफोर्मेशन है जो इसके प्रतिशत इत्यादि बताती है , जिससे पता चलता है कि छात्र पास है अथवा फेला अर्थात् यह परिणाम यूजर : वह व्यक्ति जो कंप्यूटर का इस्तेमाल करता है और जिसके द्वारा कंप्यूटर पर सूचनाओं का आदान - प्रदान किया जाता है , वह हार्डवेयर : कंप्यूटर को बनाने में इस्तेमाल किए गए सभी उपकरण हार्डवेयर कहलाते हैं । सॉफ्टवेयर : कंप्यूटर प्रोग्रामों का समूह अथवा उसको दिए जाने वाले निर्देश जो हार्डवेयर की कार्यक्षमता बढ़ाते हैं और उसे बताते हैं कि कोई भी टास्क ( काम ) किस प्रकार किया जाना है , सॉफ्टवेयर कहलाते हैं । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर एक - दूसरे के पूरक हैं । बिना सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर हार्डवेयर का कोई मतलब नहीं है , इसी प्रकार बिना हार्डवेयर के कोई भी सॉफ्टवेयर नहीं चल सकता है । कंप्यूटर की पीढ़ियां बताती है । है । यूजर कहलाता पहली पीढ़ी : पहली पीढ़ी के कंप्यूटरों की शुरुआत 1951 के दशक में यूनिवेक I ( UNIVACI ) के साथ हुई । इनमें वैक्यूम ट्यूब्स का इस्तेमाल किया गया और इनकी मेमोरी तरल पारे और विद्युतीय ड्रम्स की पतली नली से निर्मित की गई थी । दूसरी पीढ़ी : 1950 के दशक के अंत में दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में वैक्यूम ट्यूब्स की जगह ट्रान्सिटरों ने ले ली और मेमोरी ( IBM 1401 , Honeywell 800 ) के लिए मैग्नेटिक कोर का निर्माण होने लगा । कंप्यूटर का आकार छोटा हो गया और विश्वसनीयता भी बढ़ गई । तीसरी पीढ़ी : तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों की शुरुआत 1960 के दशक के मध्य में हुई । इनमें पहली बार इंटिग्रेटिड सर्किट्स ( IBM 360 , CDC 6400 ) और ऑपरेटिंग सिस्टम्स का इस्तेमाल हुआ । इनमें ऑनलाइन सिस्टम्स का बड़े पैमाने पर विकास हुआ । इस समय के कंप्यूटरों में पंचड कार्ड्स और विद्युतीय टेप्स का इस्तेमाल कर बैच पर आधारित प्रोसेसिंग हुआ करती थी । चौथी पीढ़ी : इनकी शुरुआत 1970 के दशक के मध्य में हुई । इस समय कंप्यूटरों को बनाने में चिप का इस्तेमाल होने लगा जिसके चलते छोटे प्रोसेसर्स ( माइक्रोप्रोसेसर ) और निजी कंप्यूटर्स ( पर्सनल कंप्यूटर्स ) अस्तित्व में आये । इस समय के कंप्यूटरों में डिस्ट्रीब्यूटिड प्रोसेसिंग और ऑफिस ऑटोमेशन की शुरुआत हुई । इस दौरान क्यूरी भाषाओं , रिपोर्ट राइटर्स और स्प्रेडशीट्स की वजह से काफी संख्या में लोग कंप्यूटर से जुड़े । पांचवीं पीढ़ी : पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में कंप्यूटिंग के कई बेहतरीन तरीकों जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ट्रयू डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोसेसिंग को शामिल किया ।

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